Sadhu aur ek seth ki kahan

साधू और एक सेठ की कहानी एक समय की बात है, हिमालय की गोद में बसे एक छोटे से गाँव में एक साधु रहते थे। उनका नाम था स्वामी आनंद। वे बहुत ही सरल, शांत और संतोषी व्यक्ति थे। दिनभर साधना करते, ध्यान में लीन रहते और गाँववालों को जीवन का सच्चा मार्ग बताते। गाँव के लोग अक्सर उनसे अपने दुःख-सुख बाँटने आते और उनसे समाधान पाते। साधु हमेशा कहते "सच्चा सुख बाहर की वस्तुओं में नहीं, बल्कि हमारे भीतर है। जब मन शांत होता है, तब दुनिया भी शांत लगती है।" एक दिन गाँव का एक धनी व्यापारी उनके पास आया। व्यापारी के पास धन, सम्मान और ऐश्वर्य सबकुछ था, फिर भी वह दुखी था। उसने कहा "गुरुदेव! मेरे पास सबकुछ है, पर मन कभी शांत नहीं रहता। चिंता, भय और असंतोष हमेशा पीछा करते हैं।कृपया मुझे शांति का मार्ग दिखाइए।” स्वामी आनंद मुस्कुराए और बोले"कल सुबह सूर्योदय से पहले नदी के तट पर आना, तुम्हें उत्तर मिलेगा।" अगले दिन व्यापारी समय पर पहुँचा। साधु ने उसे नदी में उतरकर एक पत्थर खोजने को कहा, जो हाथ में आते ही मन को पूर्ण शांति दे। व्यापारी ने घंटों तक नदी में खोजा, लेकिन उसे कोई ऐसा पत्थर नहीं ...